विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 46)
विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 46)
डार्क लीडर की बात सुनकर दोनों हक्के-बक्के से खड़ा थे। वीर के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी, पर धीरे धीरे फिर से कुटिल मुस्कान ने उसपर कब्जा कर लिया।
"तुम ये कहना चाहते हो कि वर्तमान में मौजूद सभी स्याह शक्तियों के स्त्रोत तुम हो?" सुपीरियर लीडर ने आश्चर्य से पूछा।
"नही! पर जो शक्ति वर्तमान परिदृश्यों में सर्वाधिक उपयोग की जा रही है वह मेरी ही शक्ति है!" डार्क लीडर चेहरे पर कुटिल मुस्कान सजाये बोला।
"यानी वीर तुम्हारा वह अंश है जिसमें अच्छाई भरी थी?" वीर ने पूछा।
"तुम क्यों इतना शक कर रहे हो धोखेबाज प्राणी! मेरे समक्ष तुम कुछ भी नही हो!" डार्क लीडर क्रोध से भर गया।
"मत भूलो इस समय तुम्हारे पास कथित डार्क प्राइम की शक्ति नही है, इस समय तुम्हारा मुझसे जीत पाना भी सम्भव नही है, इसलिए चुपचाप से जवाब दो।" वीर भड़कते हुए डार्क लीडर की ओर बढ़ा।
"जब मैं जन्मा था तब अंधेरे के अलग नियम निर्धारित थे, जिनमें कुछ प्राणी शांत हुआ करते थे, मैं भी उनमें से एक था और जब मैं प्रकृति की अनन्त शक्तियों को सिद्ध कर रहा था तभी यह अंश भी विकसित होता चला गया और मुझपर अच्छाई करने के लिए जोर डालने लगा। पर जब मेरी शक्तियां छीनी गयीं और मैं अपना पुराना अस्तित्व खो दिया तब ये अंश भी मुझसे अलग हो गया। अब अंधेरे के नए नियम निर्धारित होंगे, अगर अंधेरे को भयावहता चाहिए तो वही मिलेगा।" इस समय डार्क लीडर क्रोध में दहक रहा था।
"मैं जब से तुम्हें जानता हूँ तुम ग्रेमन के सेवक ही रहे हो डार्क लीडर या मैं बुलाऊँ डार्क प्राइम हाहाहा….!" वीर जोर जोर से हँसने लगा, डार्क लीडर कुछ भी नही समझ पा रहा था पर उसने वीर को अनदेखा कर दिया
"जब मैं जगा तो अंधेरी दुनिया के बियाबान कोने में पड़ा हुआ था, मेरी खोपड़ी तेजी से जल रही थी, मुझे ऐसा लगा जैसे कोई ताक़त मुझे खींच रही है और मैं ग्रेमन के पास पहुंच गया, वक़्त बीता और मैं डार्क लीडर बन गया। मुझे कुछ भी याद न था पर जब से मैंने इलूज़* का निर्माण किया तब मुझे लगा कि इसका प्रयोग न केवल भ्रम दिखाने बल्कि अवचेतन में छिपे रहस्यों को उजागर करने में भी किया जा सकता है, मुझे हमेशा से लग रहा था कि मैं जो दिखता हूँ वो नही हूँ इसलिए इसका पहला प्रयोग मैंने स्वयं के साथ किया और अचानक ही मुझे सब याद आने लगा।" डार्क लीडर अब आराम से कहानी सुना रहा था।
"क्या तुम इलूज़ के निर्माणकर्ता हो?" सुपीरियर लीडर ऐसे चिल्लाया जैसे उसके पैर के नीचे जलता अंगारा आ गया हो।
"हाँ! मेरी शक्तियां जब विकसित हुईं तो मैं मानव शरीर को धारण करने योग्य बन गया, धीरे धीरे जब यह शक्ति विकसित हुई तो मैं जिस मनुष्य का शरीर धारण करता उसके मस्तिष्क का भी प्रयोग कर पाने में सक्षम हो गया इसी शक्ति के प्रयोग से मैं इंसानों के शरीर बदलकर उनकी क्षमता का प्रयोग करने लगा।" डार्क लीडर चट्टान पर बैठा कहानी सुनाने लगा।
"मतलब तुमने धवल को मारकर उसका शरीर धारण किया?" सुपीरियर लीडर ने पूछा।
"नही? मैं ही धवल था। जब मेरी शक्ति और विकसित हुई तो मैं मानव रूप में मानवों के बीच रहने लगा, ऐसे में मेरा पहले का धारण किया हुआ शरीर डार्क लीडर के रूप में रहता, मुझे हमेशा से शक था कि मेरे दिमाग मे कुछ तो लोचा है इसलिए मैं मनोविज्ञान पर अधिक ध्यान देने लगा और बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक बन गया, जब इलूज़ बन गया तो मेरा मकसद भी पूरा हुआ, पर तुमने और विस्तार ने सब गड़बड़ कर दिया।" डार्क लीडर ने वीर की ओर मुखातिब होते हुए कहा।
"मैंने हमेशा वही किया है जो मुझे उचित लगा है डार्क लीडर! अब बहुत हुई कहानी, आज तेरे साथ ही तेरी ये कहानी भी सदा के लिए दफन हो जाएगी।" वीर ने डार्क लीडर पर उर्जा वार किया, डार्क लीडर बड़ी फुर्ती दिखाते हुए अपने स्थान से हटा, किरण चट्टान से जा टकराई और वह चट्टान धूल में बदल गयी।
"जिसने अपने जन्म से ही कदम कदम पर धोखा खाया हो उससे अब असावधानी की उम्मीद करना भूल है वीर, अब ये साम्राज्य मेरा होकर ही रहेगा।" डार्क लीडर के हाथों में लपलपाती हुई लाल तलवार नजर आने लगी, जो तलवार कम लट्ठ ज्यादा लग रही थी।
"तेरी कहानी ऐसी लग रही थी जैसे चार साल के बच्चे ने लिखी हो, पर अगर ये सच है तो मेरे बारे में इतना जानता ही होगा मैं छल करने में सबसे माहिर हूँ।" वीर ने उछलकर डार्क लीडर के गर्दन पर दाये पैर से वार किया, डार्क लीडर ने उसका पैर पकड़कर जमीन पर पटक दिया।
"अब मैं किसी नियम को नही मानता बच्चे! तेरी कोई भी चाल मुझपर कामयाब न होगी।" डार्क लीडर की आँखों में ज्वालामुखी खौल रहा था, सिर की लपटें और ऊंची होती जा रही थी।
"तू क्या यहां खेल देखने आया है सुपीरियर लीडर? रोक इसे!" वीर चिल्लाया।
"आज मुझे कोई नही रोक सकता है वीर!" डार्क लीडर अपने हाथ में थमी तलवार को लहराते हुए बोला, यह देखकर सुपीरियर लीडर एक पल को ठहर गया।
"यार मेरी भी कोई कहानी लिख दो, हर कोई फुटेज कहा रहा है यहां!" सुपीरियर लीडर आगे बढ़ा, उसके हाथों में रक्तिम ऊर्जा चमक रही थी।
"तो तुम भी मेराण ऊर्जा का प्रयोग कर सकने में योग्य हो! चलो अच्छा हैं, अब ये तो नही रहेगा कि मैं तुम्हारी तरह चालें चलकर मारता हूँ किसी को!" डार्क लीडर के एक ही वार ने सुपीरियर लीडर को उछालकर दूर फेंक दिया।
"यह पहले से अधिक शक्तिशाली हो चुका है वीर! यदि कुछ नही किया गया तो इसकी नई शक्तियां हमें धरती में दफन कर देंगी।" सुपीरियर लीडर अपने मुँह से मिट्टी झाड़ते हुए बोला।
"अब मुझे रोक पाना असंभव है सुपीरियर लीडर! एक बार मैं पूरी तरह से डार्क प्राइम बन गया तो तुम सबकी ऐसी तैसी कर दूंगा।" डार्क लीडर आगे बढ़ा, डेथ डीमन्स के सभी सैनिक कणों में बदलकर उसके शरीर से जुड़ते जा रहे थे। अब वीर अपनी जीती हुई बाजी हारने वाला था, जो उसे कदापि स्वीकार नही थी।
"मैं रोकूंगा तुम्हें!" वातावरण को चीरते हुए एक भयानक स्वर गुंजा, जिसे देखते ही वीर की लपटें और सुलगने लगीं।
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"ये अचानक से क्या हो रहा रहा है, दो अचानक से उठती लहरियां आपस में टकराने वाली हैं! क्या यह विस्तार है? नही यह विस्तार नही है फिर कौन इतना अधिक शक्तिशाली है जो इतनी ऊँची लहरियों को उठाने की क्षमता रखता है, यदि ये दोनों टकराएं तो उजाले की दुनिया में भयंकर तबाही आ जायेगी।" मैत्रा अभी अभी उठ रही नई लहरियों को देखकर परेशान हो चुकी थी।
"हे महाकाल! क्या पहले की ही समस्या कम है जो ये होने वाला है। विस्तार की लहरियों का कहीं कोई चिन्ह क्यों नही दिखाई देता?" आँच पहले की लहरियों को सामान्य कर मैत्रा की ओर भागी आयी।
"उसकी ऊर्जा लहरियां सुप्त दिखाई दे रही हैं, कहीं वो…!"
"नही ऐश! विस्तार एक विशुद्ध ऊर्जा है वह कभी नष्ट नही हो सकता।" आँच, ऐश को रोकते हुवे तपाक से बोली।
"परन्तु चिन्ताजनक बात यह है कि यदि विस्तार नही लड़ रहा है तो ये आपस में टकराने वाले कौन हैं?" मैत्रा शक्तियों के संयोजन तन्त्र को देखते हुए बोली।
"शायद ग्रेमन और नराक्ष! उनमें पहले भी एक बार टकराव हो चुका है।" ऐश ने अंदाजा लगाते हुए कहा।
"उनकी ऊर्जाओं की लहरियां एक समान होनी चाहिए ऐश! जबकि ये असमान दिखाई दे रही हैं, अवश्य ही कुछ भेद है। हमें जल्दी से सबकुछ ठीक कर मैदान में उतरना ही होगा।" आँच जल्दी जल्दी सब संतुलित करते हुए बोली।
"परन्तु यह नियम के विरुद्ध होगा।" मैत्रा चिंतित होकर बोली।
"मेरे तो माथे बल पड़ गए हैं, यह पद संभालना इतना सरल नही है। मैं युद्ध में इतनी अच्छी हूँ पर मुझे युध्द की अनुमति तक भी नही।" ऐश अपने सिर पर हाथ मारते हुए बोली।
"कर सकते हैं, पर पराधीन होने के बाद, स्वतंत्र रूप से यह निर्णय लेने का अधिकार हमें नही है।" आँच ने उसे याद दिलाते हुए कहा।
"वो सब छोड़ो अभी इन दोनों पर ध्यान दो!" मैत्रा ने उन दोनों का ध्यान तेजी से एक दूसरे की ओर बढ़ती लहरियों की ओर कराया।
"इसे रोक पाना असंभव है!" ऐश और आँच अपनी पूरी शक्ति से उन्हें टकराने से रोक रहीं थी।
"इसका कोई निश्चित उपाय नही है, जो है वह कारगर सिद्ध नहीं होगा।" मैत्रा पहले से और अधिक परेशान नजर आ रही थी।
"तो फिर हमें वही करना पड़ेगा?" ऐश ने पूछा।
"परन्तु यदि हमने फिर से वैसा किया तो सदियों तक अपनी शक्ति का प्रयोग नही कर पाएंगे, हमें साधारण मनुष्य बनकर जीना पड़ेगा और फिर क्रिया को पूर्ण कर कोई भी आसानी से अपना गुलाम बना लेगा।" आँच मना करते हुए बोली, उसकी आँखों में चिंता झलक रही थी।
"हमारे पास यही एक रास्ता शेष है डार्क फेयरीज़! हमें फिर से समय परिवर्तन करना होगा, समय को पीछे ले जाकर सब ठीक करना होगा!" मैत्रा, इन लहरियों के विचलन से अत्यधिक विचलित हो रही थी।
"पर उसके लिए भी विस्तार को यह युद्ध जीतना ही पड़ेगा, बिना विजय हम यह कार्य भी नही कर सकेंगे।" आँच ने मुख्य समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा।
"याद रखो यह संतुलक क्षेत्र है, यदि संतुलन थोड़ा और और बिगड़ा तो हमें बाहर फेंक दिया जाएगा और हमारे पास दुबारा इसे ढूंढने का समय नही है।" ऐश ने ऊर्जा लहरियों को निर्धारित करते हुए कहा, ताकि वे आपस में न टकराएं, पर इस कार्य में अत्यधिक ऊर्जा व्यय हो रही थी।
"हम ऐसा हरगिज नहीं होने दे सकते, ये बस आपस में टकराने ही वाली है!" मैत्रा ने चिल्लाते हुए उस ऊर्जा को थाम लिया, पर इस बार की उठी लहर ने कमज़ोर हो चुकी त्रयी महाशक्तियों को दूर फेंक दिया।
एक बेआवाज धमाका हुआ जो तेज चमक के साथ फैल गया, जब आंखे कुछ देखने लायक हुईं तो संतुलक क्षेत्र वहां नही था, त्रयी महाशक्तियां अपना मोर्चा संभालने में असफल हो चुकी थीं, उनके चेहरों पर निराशा के भाव दिख रहे थे।
"ये हमने क्या कर दिया!" आँच ने टूटे हुए स्वर में कहा, वह अपनी असफलता से बहुत दुःखी थी।
"हमने अपना पूर्ण प्रयास किया देवी! परन्तु अब नियति को यही मंजूर है।" मैत्रा ने आँच को समझाने का प्रयत्न किया जबकि सच्चाई यह थी कि वह स्वयं भी अपनी इस विफलता से अत्यधिक दुःखित थी।
"अब हमारी सारी उम्मीद उसपर टिकी हैं, महाकाल करें वह यह कर सकने में सक्षम हो।" ऐश अपने दोनों हाथों को प्रार्थना के मुद्रा में जोड़ती हुई बोली।
"उसे विजयी होना ही होगा ऐश! वह हार नही सकता।" आँच ने एक एक शब्द को चबा चबाकर कहा।
"अब उसके पास हारने के अधिकार नही है, उसे जीतना ही होगा, काश हम उसकी सहायता करने योग्य होते पर इस समय तो हम स्वयं की भी सहायता कर पाने में अक्षम है।" मैत्रा ऊँचे आकाश की ओर देखते हुए बोली।
"महाकाल उसकी सहायता करें।" तीनो ने एक साथ कहा। शायद उन तीनों को ही नही पता था वे जिसके लिए प्रार्थना कर रही थी वह पहले ही मैदान से बाहर हो चुका था। शायद उसे दुआओ की सख्त आवश्यकता हो, क्योंकि वही अब अंधकार और उजाले का भविष्य तय करने वाला था।
क्रमशः…..
Seema Priyadarshini sahay
05-Oct-2021 05:00 PM
Nice
Reply
Adeeba Riyaz
20-Aug-2021 03:21 AM
Behteren
Reply
Mukesh Duhan
19-Aug-2021 05:19 PM
Bahut sunder prastuti ji
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